आँखें हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनके द्वारा हम पूरी दुनिया को देखते हैं और उसे समझते हुए उसे जान पाते हैं। छोटे बच्चों की आँखें अभी विकसित हो रही होती हैं, इसलिए इनमें कमजोरी होने का खतरा बहुत अधिक होता है। बच्चों में आँखों की कमजोरी के कई लक्षण हो सकते हैं, जिनके बारे में माता-पिता को पता होना चाहिए। बच्चों की आँखे कमजोर होने के लक्षण कई प्रकार से आप समझ सकते है।
आजकल की इस तेज बढ़ते जमाने में सही खान-पान ना मिल पाना और कुछ बुरी आदतें जैसे की टीवी या मोबाइल में ज्यादा ध्यान लगाना इससे भी बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है इससे भी कई बार आंखें कम उम्र में ही कमजोर हो जाती है।
ऐसे में सभी माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा क्या गतिविधि में लिप्त है और कहीं उसकी आंखें कमजोर तो नहीं हो रही है अगर आप नहीं जा पा रहे हैं कि क्या आपके बच्चों की आंखें कमजोर है तो इसके लिए हम नीचे कुछ लक्षण बता रहे हैं जिनसे आप आसानी से समझ पाएंगे की समस्या क्या है।
बच्चों में दूर का धुंधला दिखना सबसे आम लक्षण होते है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चों की आँखों का लेंस अभी पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। अगर आपका बच्चा छोटा है तो ज्यादा समस्या वाली बात नहीं है लेकिन अगर आपका बच्चा तीन-चार साल से ज्यादा का हो गया है और फिर भी उसे समस्या आ रही है तो आपको डॉक्टर से एक बार संपर्क अवश्य करना चाहिए।
कुछ बच्चों को पास का भी धुंधला दिख सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी आँखों की मांसपेशियाँ सही तरीके से काम नहीं कर रही हैं।इसमें भी यही कारण हो सकता है जो अभी आपको बताया गया है आप उसे यहां पर भी लागू कर सकते हैं।
आँखों का लाल होना या दर्द होना भी बच्चों में आँखों की कमजोरी का लक्षण हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चों की आँखें अधिक थक जाती हैं या उनमें सूखापन हो जाता है। ऐसा अक्सर इसलिए होता है क्योंकि बच्चा अधिक समय तक टीवी या मोबाइल का उपयोग करता है अगर आपका बच्चा अभी इस तरीके से कुछ उपयोग में ला रहा है तो कृपया थोड़ा ध्यान दें।
बच्चों को अपनी आँखों को बार-बार मलना भी एक लक्षण हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें आँखों में दर्द या परेशानी हो रही होती है। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता रहती है क्योंकि बच्चों की आंखों में इन्फेक्शन भी हो सकता है।
कुछ बच्चों को एक आँख को दूसरी आँख की ओर मोड़ने की आदत हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी आँखों में आपस में समन्वय की कमी होती है। इसे आप सामान्य तरीके से कुछ एक्सरसाइज की मदद से घर में ही ठीक भी कर सकते हैं।
बच्चों को पढ़ने में कठिनाई होना भी आँखों की कमजोरी का एक लक्षण हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें पढ़ने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है।इस कंडीशन में आप बच्चों की आंखों पर चश्मा लगवा कर या फिर उन्हें कुछ टॉनिक ताकत की दवाइयां डॉक्टर से दिलवा कर आंखों को जल्द ही ठीक कर सकते हैं।
बच्चों को सिरदर्द होना भी आँखों की कमजोरी का एक लक्षण होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी आँखों में अधिक दबाव पड़ रहा होता है। ऐसे में आपको तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए क्योंकि अगर इसका समय पर उपचार नहीं किया जाएगा तो यह समस्या आगे चलकर धीरे-धीरे और बड़ी होती चली जाएगी।
आंखों में कमजोरी के लक्षण जो अभी आपको बताए गए हैं अगर आपको भी अपने बच्चों में या किसी में इन लक्षणों की पहचान होती है तो आपको तुरंत ही आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और आंखों की पूर्णता जांच करवाना चाहिए और अगर जांच में आंखों की कमजोरी की बात सामने आती है तो आपको तुरंत ही इनका इलाज भी करवाना चाहिए क्योंकि इलाज न करवाने पर धीरे-धीरे आंखों की कमजोरी में बढ़ोतरी होती चली जाती है इसलिए इसका समय पर इलाज काफी जरूरी है।
वैसे तो छोटे बच्चों की आंखों में कमजोरी के बहुत सारे कारण हो सकते हैं लेकिन कुछ ऐसे कारण जो वाकई में बच्चों की गलती की वजह से नहीं होते हैं वह हम आपके यहां पर बता रहे हैं कृपया इनका विशेष ध्यान दें।
अगर किसी के परिवार में माता-पिता या दादा दादी को नजर का चश्मा लगा हुआ है और उनकी आंखें कमजोर रही है तो ऐसे में पूरी संभावना रहती है कि उनके बच्चों में भी यह बीमारी यह आनुवांशिक तौर पर आ सकती है ऐसे में बच्चों की आंखें कमजोर होना लाजमी है।
प्रदूषण युक्त माहौल में रहने पर या तेज धूप के संपर्क में आने में या फिर अत्यधिक समय तक टीवी और मोबाइल का उपयोग करने से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है ऐसे में कोशिश करें कि इसे उचित दूरी बनाए रखें और आंखों में जलन होने पर ठंडे पानी से आंखों को धो ले।
ठीक तरीके से खानपान ना हो पाने की वजह से शरीर में विटामिन A विटामिन C और Zink जैसे महत्वपूर्ण तत्वों की कमी हो जाती है जिनकी वजह से इनका असर आंखों पर पड़ता है और आंखें कमजोर हो जाती है एहसे मैं आपको अपने खान-पान में भी विशेष तौर पर ध्यान रखना हो और जिनमे यह विटामिन पाए जाते हैं उनका सेवन अत्यधिक मात्रा में करें
कुछ आनुवंशिक बीमारियां भी बच्चों में पाई जाती है जैसे कि माइग्रेन की शिकायत या फिर मधुमेह काफी कम उम्र में बच्चों में देखी जा सकती है ऐसे में भी इसका असर आंखों पर पड़ता है।
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अभी हमने आपको आंखों की कमजोरी के लक्षण और उसके कारण बताए हैं अब हम आपको बताते हैं कि कैसे आप बच्चों की आँखे कमजोर होने के लक्षण को रोक सकते हैं या कमजोरी दिख रही है तो उसे सुधार सकते हैं।
आंखों की कमजोरी के लिए सबसे पहले तो यही एक अच्छा उपाय है कि आप खुद और अपने बच्चों को भी विटामिन ए विटामिन सी और जिंक से भरपूर पोषक तत्व दें जिन में भी यह पोषक तत्व होते हैं वही फल और खाद्य पदार्थ आपको अपने भोजन में शामिल करना चाहिए इससे जल्दी आपकी आंखों पर अच्छा प्रभाव देखने को मिलेगा।
आंखें हमारे शरीर का एक विशेषण होता है इसलिए इसकी रक्षा सुरक्षा भी थोड़ी विशेष तो पर करनी चाहिए कोशिश करें कि आपकी आंखें कभी भी सीधे सूरज की रोशनी के संपर्क में ना आए और उन्हें धूल मिट्टी से भी बचा कर रहे, धुएं के संपर्क में आने से भी आंखों की रोशनी पर फर्क पड़ता है।
आज के समय में बच्चे टीवी कंप्यूटर से ज्यादा मोबाइल के दीवाने होते जा रहे हैं ऐसे में बच्चों का अधिक देर तक मोबाइल चलाना उनकी आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकता है इसलिए कोशिश करें कि अपने बच्चों को ज्यादा देर मोबाइल न चलने दे अगर बच्चे ना माने तो उन्हें थोड़ी-थोड़ी देर के लिए मोबाइल दे और थोड़ी देर में वापस ले ले।
अगर आपके बच्चों की आंखों में कभी कोई समस्या रही है या कुछ कमजोरी के लक्षण नजर आ रहे हैं तो ऐसे में आपको समय-समय पर डॉक्टर से अपनी आंखों की नियमित जांच करना आवश्यक रहता है।
अभी हमारे द्वारा आपको बच्चों की बच्चों की आँखे कमजोर होने के लक्षण उसके कारण और उसके उपाय बताए गए हैं वैसे तो बच्चों की आंखें काफी नाजुक होती है इनका विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए काफी प्रकार के इंफेक्शन बच्चों की आंखों में काफी तेजी से फैल सकते हैं ऐसे में बच्चों की आंखों का विशेष तौर पर आप ध्यान रखें और अगर उपरोक्त किसी भी लक्षण में से कोई भी आपको अपने बच्चों की आंखों में दिखाई देता है तो ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से तुरंत ही सलाह मशवरा लेना चाहिए और बच्चे की आंखों की तुरंत ही जांच भी करवाना चाहिए।
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